आलस्य को कैसे दूर करे? Motivational Story

आलस्य (Laziness) से हम सभी परिचित हैं । काम करने का मन न होना, समय यों ही गुजार देना, आवश्यकता से अधिक सोना आदि को हम आलस्य की संज्ञा देते हैं और यह भी जानते हैं कि आलस्य (Laziness) से हमारा बहुत नुकसान होता है । फिर भी आलस्य से पीछा नहीं छुटता, कहीं न कहीं जीवन में यह प्रकट हो ही जाता है । आलस्य करते समय हम अपने कार्यों, परेशानियों आदि को भूल जाते हैं और जब समय गुज़र जाता है तो आलस्य का रोना रोते हैं, स्वयं को दोष देते हैं, पछताते हैं ।


आलस्य (Laziness) तो मन का एक स्वभाव है । यह दीखता भी हमारे व्यवहार में है, इसे यों ही पकड़ा नहीं जा सकता । आलस्य को हम दूर भगाना चाहते हैं, इससे दूर जाना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि आलस्य हमें क्यों आ रहा है? यदि हम उन कारणों को दूर कर सकें तो संभवत: आलस्य के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं ।

सबसे पहले यह समझने का प्रयत्न करते हैं कि आलस्य है क्या? (What is Laziness)
आलस्य (Laziness) – थक जाने को, कुछ नया करने से बचने को या फिर चीजों को टालते रहने की प्रवृत्ति को कहते हैं ।  प्रश्न उठता है कि वे क्या कारण हैं जिनकी वजह से हमें आलस्य आता है ।

इसके बारे में मशहूर साइकोलॉजिस्ट लारा डी० मिलर कहती हैं, कि आलस्य की ज़रूरत से ज्यादा आलोचना की जाती है । आलसी का ठप्पा लगा देने से इस बात को समझने में कतई मदद नहीं मिलती कि कोई व्यक्ति क्यों वह काम नहीं कर रहा, जो वह करना चाहता है या फिर उसे करना चाहिए ।  हो सकता है कि आलस्य करने के पीछे किसी तरह का डर छिपा हो । कुछ न करना, असफल होने का डर, दूसरों की अपेक्षाएँ, असंतुष्टि, प्रेरणा की कमी व बहसबाजी से बचने की कोशिश में कुछ न करने के लिए ओढ़ा गया लबादा भी यह हो सकता है । अतः आलस्य (Idleness) को समस्या मानने की जगह उसे अन्य समस्याओं के लक्षण के तौर पर समझना चाहिए ।

आलस्य (Laziness) की समस्या व्यक्ति की और एक इशारा यह भी है कि व्यक्ति की सोच यह है कि अब परिस्थितियों को बदला नहीं जा सकता ।

कुछ व्यंग्यकारों ने भले ही इसकी तारीफ़ की हो, कई सुविधाजनक वस्तुओं के आविष्कार की प्रेरणा (Inspiration) माना हो, इसे धीरता की निशानी और जिंदगी को आसान बनाने की कला समझा हो, पर सच यही है कि आलस्य की वजह को न ढूँढना और लंबे समय तक ज़रूरी कामों से बचते रहना अपने कैरियर एवं जिंदगी को कष्टप्रद बना सकता है ।

एक सीमा तक आलस्य हमें सुकूनदायक लगता है, ख़ुशी देता है, नुकसान नहीं पहुँचाता, लेकिन समय की उस सीमा के बाद लगातार काम करते रहने से बचना हमें ख़ुशी से ज्यादा दर्द देने लगता है, मन को बेचैनी व पछतावे से भरने लगता है; क्योंकि काम न करने से काम का ढेर कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है और धीरे – धीरे यह इतना बढ़ जाता है कि यह हमें अपने बारे में, अपने कार्यों और अपने रिश्तों के बारे में अच्छा महसूस करने नहीं देता । एक तरह से हम आलस्य (Laziness) के कारण नकारात्मकता से घिर जाते हैं और नकारात्मक सोचने लगते हैं ।


आलस्य दो प्रकार का होता है । (Two types of Laziness)
पहला वो, जिसमें व्यक्ति मेहनत करके पहले अपना काम पूरा करता है और फिर कुछ समय बिना कुछ किए आलस्य में बिताना चाहता है । इस तरह का आलस्य (Laziness) नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि लाभ देता है । जब हमारे ज़रूरी कार्य पूर्ण हो जाते हैं और बचे हुए समय को हम सुकून से जीते हैं, बिना किसी तनाव के अपने कार्यों को करते हैं तो यह हमें एक तरह से जिंदगी का आनंद देता है ।

दूसरा आलस्य वह, जिसमें व्यक्ति के अंदर कुछ करने की प्रेरणा (Inspiration) ही नहीं होती । ऐसी स्थिति में व्यक्ति कुछ न कर पाने के कारण बेचैन तो रहते हैं, पर उनमें वह उत्साह नहीं होता, जो उनसे कुछ काम करा ले । कई बार व्यक्ति को यह ही पता नहीं होता कि वह क्या करना चाहता है और यह समझ न पाने के कारण भी वह आलस्य करता है ।

इस तरह लंबे समय तक कुछ न करना, कामों को टालना, रोज़मर्रा के कार्यों को मजबूरी मानते हुए करना – यह कुछ और नहीं, बल्कि मन में जन्म ले रही निराशा के संकेत हैं, जिसके कारण व्यक्ति अपना समय कम मेहनत वाली और उबाऊ चीजों में बिताने लगता है । इस तरह के आलस्य (Idleness) निपटना बेहद ज़रूरी है । अपने जीवन से आलस्य को दूर भगाने के लिए हमें थोड़ी मेहनत, मशक्कत तो करनी ही पड़ेगी ।

आलस्य को कैसे दूर करे? (How to Overcome Laziness)

ब्रिटिश लेखक और राजनीतिज्ञ बेंजामिन डिजरायली का इस बारे में कहना था कि “काम से हमेशा ख़ुशी मिले, यह ज़रूरी नहीं, पर यह तय है कि ख़ुशी बिना काम किए नहीं मिल सकती ।” इसलिए जिंदगी को बेहोश करने वाले आलस्य के नशे का त्यागकर जिंदगी की असली ख़ुशी की तलाश करनी चाहिए और यह हमें बिना काम किए नहीं मिल सकती ।

काम करके ही हम जिंदगी का असली सुकून प्राप्त कर सकते हैं । भले ही हम अपने कार्यों में सफल हों या असफल, यह सोचने के बजाय कार्य करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए । कार्य करते समय एक साथ कई काम करने के बजाय एक बार में एक या दो कामों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए; क्योंकि इससे हमारे कार्य पूर्ण होंगे और अपने कार्यों को पूरा होते हुए देखने से हमारा आत्मविश्वास (Self-confidence) भी बढ़ेगा और ख़ुशी (Happiness) भी ।

हमें करने को अनगिनत कार्य होते हैं, जिनके कारण हम यह समझ नहीं पाते कि शुरुआत कहाँ से करें? कैसे करें? इसलिए स्वयं में यह आदत डालनी चाहिए कि अपने समक्ष उपस्थित कार्यों को हम समेटते और सहेजते रहें, अनावश्यक विचारों से खुद को मुक्त करने की कोशिश करें; क्योंकि जितना हमारे अंदर बिखराव कम होगा, उतना ही अधिक हमारा स्वयं पर नियंत्रण होगा ।

व्यायाम, योगाभ्यास आदि आलस्य (Laziness) को दूर भगाने के श्रेष्ठ तरीकों में से हैं । ये हमारे शरीर व मन को जीवनीशक्ति से भरपूर बनाते हैं, इन्हें तरोताजा करते हैं व मन में उत्साह जगाते हैं । इसके साथ ही आलस्य (Laziness) को दूर भगाने के लिए हमें सकारात्मक विचारों (Positive Thinking), सही दिशाधारा और उन पर चलने के लिए मजबूत पहल की आवश्यकता होती है । इन्हें अपना कर ही कोई आलस्य (Idleness) से बच सकता है ।

Credit: Story by Aasaanhai.net